डॉ. आर. के. बांगिया की संविदा – I विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 सहित, एक व्यापक मार्गदर्शिका है, जो विशेष रूप से विधि के छात्रों के लिए तैयार की गई है, खासकर वे जो बी.ए., बी.कॉम. एवं एल.एल.बी. कार्यक्रमों में नामांकित हैं। यह पुस्तक भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 और विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें उनके प्रावधानों और व्यवहारिक उपयोग को सुस्पष्ट और व्यवस्थित ढंग से समझाया गया है।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह पुस्तक संविदा विधि के सामान्य सिद्धांतों की गहराई से चर्चा करती है, जिनमें शामिल हैं:
- संविदाओं की स्थापना (Formation of Contracts)
- प्रतिफल (Consideration)
- संविदा करने की क्षमता (Capacity to Contract)
- स्वतंत्र सहमति (Free Consent)
- उद्देश्य और प्रतिफल की वैधता
- शून्य संविदाएँ (Void Agreements)
- आकस्मिक संविदाएँ (Contingent Contracts)
- संविदा का निर्वहन और प्रदर्शन (Performance & Discharge)
- अर्ध-संविदाएँ (Quasi Contracts)
- और संविदा के उल्लंघन पर उपचार (Remedies)
- विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की विस्तृत चर्चा, जिसमें निम्नलिखित विषय सम्मिलित हैं:
- संविदा का विशेष निर्वहन (Specific Performance)
- निषेधाज्ञाएँ (Injunctions)
- घोषणात्मक डिक्री (Declaratory Decrees)
- प्रासंगिक न्यायनिर्णयों (Case Laws) और व्यावहारिक उदाहरणों (Illustrations) को शामिल किया गया है, जिससे विधिक सिद्धांतों की वास्तविक जीवन में उपयोगिता को समझना सरल होता है।
यह पुस्तक संविदा विधि के क्षेत्र में अध्ययन या अभ्यास कर रहे व्यक्तियों के लिए एक अनिवार्य संसाधन के रूप में कार्य करती है, जो सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक दृष्टिकोण भी प्रदान करती है।